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Suniti Choudhry : Ek Viplavi Ki Dastan
क्रांतिकारिणी सुनीति चौधरी (बाद में प्रधीत कुमार घोष से विवाह के बाद सुनीति घोष) की सुपुत्री भारती सेन का जन्म 1950 में हुआ। उन्होंने अपनी मां की कतिपय दर्ज की गई स्मृतियों और अपने अनुभवों के आधार पर उस युग के उनके क्रांतिकर्म पर 'सुनीति चौधरी : एक विप्लवी की दास्तान' पुस्तक लिपिवद्ध की है। भारती की शिक्षा-दीक्षा चन्द्रनगर (अब चन्दननगर) में हुई। विवाहोपरांत वे मुंबई में जा बसीं। विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। यूजीसी कार्यक्रम के तहत देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों का शैक्षिक भ्रमण और प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त। महाराष्ट्र सरकार द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया। भारती सेन की लिखी यह इन्कलाबी दास्तान प्रेरक होने के साथ उस समझदारी भरे क्रांतिकारी संग्राम का एक रोमांचकारी घटनाक्रम है। सुनीति ने आगे चलकर एमबीबीएस की डिग्री ली और कलकत्ता के निकट चन्द्रनगर में चिकित्सा को पेशा अपनाया, जबकि शांति राजनीति में हिस्सेदारी करके विधान परिषद और विधानसभा तक पहुंचीं। शांति की आत्मकथा 'अरुण वहिन' का बंगला साहित्य में बड़ा स्थान है जिसे सुधीर विद्यार्थी ने हिन्दी में अनूदित कर प्रकाशित कराया। यह दोनों किताबें उस पूरे परिदृश्य का अनोखा कोलाज़ उपस्थित करती हैं। इस पुस्तक का संपादन करते हुए श्री विद्यार्थी ने बंगाल सहित सम्पूर्ण भारतीय विप्लवी आंदोलन को सामने रखकर इसकी जांच-परख की है।
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