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Swayam Prakash : Chuni Hui Kahaniyan
हिन्दी में कहानी का इतिहास जितना भी पुराना हो यह मानना चाहिए कि कहानी कहना और सुनना मनुष्य सभ्यता के साथ ही शुरू हो गया होगा । अंग्रेजी में कहानी लेखन की ऊंचाई मिलती है और तमाम यूरोपीय भाषाओं में भी श्रेष्ठ कथा लेखन के उदाहरण भरे हुए हैं लेकिन भारतीय हिन्दी कहानी की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे दुनिया के कहानी लेखन से भिन्न बनाती हैं । हमारी कहानी जातीय परम्परा से जुडी हुई है और इसमें लोक तत्त्वों का गहरा सम्बन्ध है । प्रेमचंद ने यूरोपीय ढाँचे को हिन्दुस्तानी रंग ढंग में तैयार कर हिन्दी कहानी का स्वरूप गढ़ा । स्वयं प्रकाश हिन्दी की कहानी परम्परा में एक महत्त्वपूर्ण नाम हैं । नयी कहानी आंदोलन के बाद अराजकता की शिकार हिन्दी कहानी को जिन लोगों ने फिर भारतीय रंग ढंग देकर पाठकों से जोड़ा उनमें स्वयं प्रकाश अग्रणी हैं । उनका कहानी लेखन उत्तर नेहरू दौर से प्रारम्भ होता है और इसे भूमण्डलीकरण के ताज़ा दौर तक देखा जा सकता है । अपनी कहानियों में स्वयं प्रकाश गरीबी, भूख, असमानता, पाखण्ड, जाति, धर्म और अनेक ऐसे सवालों को सम्बोधित करते हैं जो रोज़मर्रा के जीवन से जुड़े हुए हैं ।
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