
Anand Kumar Singh
About Anand Kumar Singh
आनन्द कुमार सिंह
(जन्म : फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी सं. 2024, लखनऊ)
आनंद कुमार सिंह की रचनाएँ भारतीय संस्कृति, पर्यावरण चेतना और मानवीय संवेदनाओं का प्रगल्भ आख्यान रचती हैं। उनकी प्रमुख कृति 'अथर्वा मैं वही वन हूँ' वैदिक चेतना और बौद्ध करुणा के गहन समन्वय को अभिनव शिल्प में समाहित करने के कारण हिंदी कविता का आधुनिक क्लासिक बन चुकी है। 'सौंदर्य जल में नर्मदा' के माध्यम से उन्होंने नदियों और प्रकृति के प्रति गहरी आस्था को कविताओं में आकृत किया है।
प्रस्तुत लंबी कविता 'विवेकानंद' बीसवीं सदी की औपनिवेशिक पृष्ठभूमि में स्वामी विवेकानंद के गहन पर्यवलोकन को निराला द्वारा प्रणीत 'तुलसीदास' कविता के कठिन छंदविधान में प्रस्तुत करती है। वर्तमान कविता के छंदरहित परिवेश में यह कृति आनंद कुमार सिंह की गहन वैचारिकता और छंदात्मक प्रावीण्य का अनुपम उदाहरण है।
आनंद कुमार सिंह को कविता और आलोचना के लिए वागीश्वरी पुरस्कार, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार, प्रभाकर श्रोत्रिय सम्मान, स्पंदन सम्मान, तुलसी पुरस्कार, और अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार, जैसे अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया गया है। उनकी प्रमुख रचनाओं का अनुवाद अंग्रेज़ी और भोजपुरी में भी हुआ है।
Books by the Author Anand Kumar Singh
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