
Asghar Wajahat
About Asghar Wajahat
असगर वजाहत हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में मुख्यनः साटोनरी पीट्टी के वाद के महत्वपूण कहानीकार एवं सिद्धहस्त नाटककार के रूप में मान्य है। इन्होंने कहानी, नाटक, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, फिल्म तथा चित्रकला आदि विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण रचनात्मक योगदान दिया है। ये दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर आर अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अतिरिकत कुछ समय तक वे जामिया के मास कम्युनिकंशन सेंटर के डायरेक्टर के पद पर भी काम कर चुके हैं।
असगर वजाहत का जन्म 5 जुलाई 1916 को फतेहपुर, उत्तर प्रदेश भारत में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम ए तक की पढ़ाई की एवं वहीं से पीएच.डी. की उपाधि भी पायी। पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से किया। 1971 से जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली के हिंदी विभाग में अध्यापन किया। पांच वर्ष आंत्यांश लोगंड विश्वविद्यालय, वुडापेस्ट, हंगरी में भी अध्यापन किया। यूरोप और अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में उनके व्याख्यान हुए हैं।
मूलतः ओर प्रथमतः असगर वजाहत कहानीकार है। कहानी के बाद उन्होंने गद्य साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन किया और अपने लिए हमेशा नए प्रतिमान बनाए। अपने लिए जिस भी विधा को उन्होंने चुना वहाँ हमेशा पहले दर्जे की रचना संभव हुई। असगर वजाहत के पांच कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, एक उपन्यास त्रयी, दो लघु उपन्यास, आट नाटक, एक नुक्कड़ नाटक संग्रह, यात्रा संस्मरण की चार पुस्तकें, और कई अन्य रचनाएँ प्रकाशित है। इनका उपन्यास 'सात आसमान' नाटक 'जिस नाहीर नहीं देख्या आं जन्मया ई नई', यात्रा संस्मरण 'ईरान चलते तो अच्छा था', नुक्कड़ नाटको में 'सबसे सस्ता गांश्तर' आदि अत्यंत महत्वपर्ण और लोकप्रिय हैं।
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