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Asghar Wajahat Ke Natak (In 2 Volume All Play)
उपमहाद्वीप के नाट्य वांग्मय में असगर वजाहत का महत्वपूर्ण स्थान है। वह पिछले पांच दशकों से लगातार नाटक लिख रहे हैं। उनके नाटकों का रचना संसार बहुत व्यापक है। उनमें केवल विषय की विविधता ही नहीं बल्कि शैली संबंधी प्रयोग भी देखे जा सकते हैं। उन्होंने लोक नाट्य शैलियों के सम्मिश्रण से कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग किए हैं। उनके अनेक नाटकों के कथानक इतिहास से प्रेरित हैं। उनका पहला नाटक 'फिरंगी लौट आएÓ अट्ठारह सौ सत्तावन की ऐतिहासिक घटनाओं पर केंद्रित है। उनके ऐतिहासिक नाटकों में पात्रों और घटनाओं के माध्यम से सामाजिक संरचना और विभिन्न पत्रों के वर्ग चरित्र को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है। उनके कुछ नाटक लोक कथाओं से प्रेरित हैं। लेकिन उन्होंने लोक कथा को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए कथानक में कुछ परिवर्तन भी किए हैं। उनका नाटक इन्ना की आवाज एक मध्य एशिया की लोक कथा पर केंद्रित है पर वह सत्ता और विपक्ष के सार्वभौमिक और सर्वकालिक मुद्दा बन जाता है। उनके प्रसिद्ध नाटक 'जिस लाहौर नहीं देख्या के मंचन के 20 वर्ष पूरे हो जाने पर कई देशों में उस का मंचन किया गया था। वॉङ्क्षशगटन डी.सी. में स्थित केनेडी सेंटर में भी उसके प्रदर्शन हुए थे। यह नाटक हिंदी के उन नाटकों में आता है जिनके अनेक भाषाओं में सर्वाधिक प्रदर्शन हुए हैं। इस नाटक में विचारों और भावनाओं की ऐसी संश्लिष्ट बुनावट देखने को मिलती है जो दर्शकों को तत्काल प्रभावित कर देती है। यह नाटक ङ्क्षहदी साहित्य में मील का पत्थर माना जाता है। इस नाटक पर फिल्म भी बन रही है।
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