Dr. Nagendra
About Dr. Nagendra
डॉ. नगेन्द्र
गहरे विश्लेषक थे।
जन्म ः 22 मार्च, 1915 ई. अतरौली (अलीगढ़) उ.प्र. शिक्षा : उन्होंने अंग्रेजी और हिन्दी में एम.ए. करने के बाद हिंदी में डी. लिट की उपाधि प्राप्त की।
एम.ए. करने के बाद वे दस वर्ष तक दिल्ली के कामर्स कॉलेज में अंग्रेजी के अध्यापक रहे। 5 वर्ष तक उन्होंने 'ऑल इंडिया रेडियो' में कार्य किया। फिर लम्बे समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहें ।
हिन्दी के आधुनिक आलोचकों में डॉ. नगेन्द्र का विशिष्ट स्थान है । डॉ. नगेन्द्र सुलझे हुए विचारक और
वे अंग्रेजी के श्रेष्ठ आलोचकों की कृतियों से अधिक प्रभावित थे। नगेन्द्र मूलतः रसवादी आलोचक है। रस सिद्धांत में उनकी गहरी आस्था थी । फ्रायड के मनोविश्लेषण - शास्त्र को उन्होंने एक उपकरण के रूप में ग्रहण किया, जो रस सिद्धांत के विश्लेषण में पोषक ही सिद्ध हुआ। क्रोचे और आई.ए. रिचर्डस आदि के अध्ययन के बाद उनका झुकाव सैद्धांतिक आलोचना की ओर हुआ।
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डॉ. नगेन्द्र 'रीतिकाव्य की भूमिका' तथा 'देव और उनकी कविता' (1949 ई. शोध-ग्रंथ) के भूमिका भाग में भारतीय काव्यशास्त्र पर विचार किया।
प्रमुख रचनाएँ : ‘सुमित्रानंदन पंत' (1938), 'साकेत-एक अध्ययन', 'आधुनिक हिन्दी नाटक' (1940), 'विचार और विवेचन' (1944), 'भारतीय काव्यशास्त्र' (1955), 'अरस्तु का काव्यशास्त्र' (1957), 'अनुसंधान और आलोचना' (1961), 'रस सिद्धांत' (1964), ‘आस्था के चरण’ (1964), 'आधुनिक हिन्दी कविता की मुख प्रवृत्तियाँ, आलोचक की आस्था (1966), नयी समीक्षा : नये सन्दर्भ (1970), काव्य- बिंब, हिन्दी साहित्य का इतिहास (सं.) डॉ. नगेन्द्र ग्रंथावली (10 खंडों में) आदि ।
सम्मान : पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत-भारती (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान)
निधन : 27 अक्टूबर, 1999, नई दिल्ली
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