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Sumitranandan Pant
इस पुस्तक में संकलित विषयों के कुछ अंशों को मैं श्री नगेन्द्र जी के मुख से सुन चुका हूँ । उन्होंने पर्याप्त अध्ययन एवं मनन के पश्चात् अत्यंत सहृदयता के साथ मेरी रचनाओं के गुण–दोषों का विवेचन किया है । अपने प्रयास में उन्हें कहाँ तक सफलता मिली है, इसका निर्णय पाठक ही कर सकते हैं । मुझे इतना ही कहना है कि उन्होंने मेरे साथ काफी सहानुभूति रखी है । उनके दृष्टिकोण से अपनी रचनाओं के गुण–दोषों को परखने का अवसर पाकर मुझे आनंद मिला और अपनी कमज़ोरियों को समझने में सहायता मिली, जिसके लिए मैं उनका कृतज्ञ हूँ । श्री नगेन्द्र जी स्वयं भी कवि हैं । अपने कवि–हृदय के माधुर्य से मेरे कवि को और भी सुंदर बनाकर वे पाठकों के सामने प्रस्तुत कर सके हैं, इसमें मुझे संदेह नहीं । —सुमित्रानंदन पंत
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