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Saket : Ek Adhyayan
'साकेत' की कथावस्तु भारत की पुरानी कहानी है जिसमें वाल्मीकि और तुलसी ने पूर्ण रीति से आर्य-संस्कृति का प्रतिफलन कर उसे हमारे नित्य प्रति के जीवनादर्श का प्रतीक बना दिया है। यह कहानी हमारे जीवन की चिरंतन समस्याओं के समाधान-स्वरूप न जाने कब से चली आती है, और प्रत्येक युग 'हरि अनंत हरि कथा अनंता' के अनुसार अपनी बुद्धि और विचारधारा के अनुरूप इसे समझता और गढ़ता रहा है। साकेत जीवन-काव्य है। उसमें एक व्यक्ति का जीवन अनेक अवस्थाओं और व्यक्तियों के बीच अंकित है-अतः उसमें मानव राग-द्वेषों की क्रीड़ा के लिए विस्तृत क्षेत्र होना स्वाभाविक है। पर इसका यह अर्थ नहीं है कि उसके लिए प्रतिभा की अपेक्षा नहीं, विशेषकर साकेत जैसे काव्य में जहां कवि को समस्त कथानक को ही नवीन रूप देना पड़ा है।
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