Sanjay Kumar

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About Sanjay Kumar

बिहार, भोजपुर के आरा में जन्म, वैसे भागलपुर का मूलनिवासी। पत्रकारिता में डिप्लोमा एवं स्नातकोत्तर। पत्रकारिता-शुरूआत वर्ष 1987 में भागलपुर शहर से। राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में विविध विषयों पर ढेरों आलेख, रिपोर्ट-समाचार, फीचर आदि प्रकाशित । आकाशवाणी से वार्ता प्रसारित और रेडियो नाटकों में भागीदारी, साथ ही नुक्कड़ नाट्य आंदोलन के शुरूआती दौर से ही जुड़ाव एवं सक्रिय भूमिका। मीडिया, वंचित वर्ग, सामाजिक सरोकर, पर्यावरण एवं जीव-जंतु सरक्षण के मुद्दे को लेकर लगातार लेखन। वर्ष 2002 से अक्टूबर 2014 तक इलेक्ट्रानिक मीडिया-आकाशवाणी के समाचार प्रभाग और वर्ष दिसंबर 2014 से दूरदर्शन के समाचार सेवा प्रभाग से जुड़ कर राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, विकासात्मक और जनहित से जुड़ी खबरों को जनता के बीच पहुँचाने की कोशिश। अब तक 14 पुस्तकें प्रकाशित । 1. तालों में ताले अलीगढ़ के ताले, 2. नागालैंड के रंग बिरंगे संजय कुमार उत्सव, 3. बिहार की पत्रकारिता तब और अब, 4. आकाशवाणी समाचार की दुनिया, 5. पूरब का स्वीट्जरलैंड नागालैंड, 7. रेडियो पत्रकारिता, 1857 : जनक्रांति के बिहारी नायक, 8. मीडिया में दलित ढूंढते रह जाओगे, 9. मीडियाः महिला, जाति और जुगाड़, 10. मीडिया में दलित, 11. में अभी जिन्दा है... गौरैया, 12. ओ री गौरैया, 13. जुल्फिकार अली 1857 के गुमनाम योद्धा और 14. आओ गौरेया। विहार राष्ट्रभाषा परिषद द्वारा 'नवोदित साहित्य सम्मान', बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, स्वतन्त्रता सेनानी तिलका माँझी राष्ट्रीय सम्मान के अलावा विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा कई सम्मानों से सम्मानित। गौरेया संरक्षण में सक्रिय । बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से वर्ष 2016 और 2021 में गौरैया संरक्षण के लिये सम्मानित। फोटोग्राफी का बचपन से शौक। चिड़ियों, खास कर गौरेया की फोटोग्राफी। सम्प्रतिः वर्ष 1993 से भारतीय सूचना सेवा में। फिलहाल, सीबीसी-पीआईबी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पटना में उप निदेशक के पद पर कार्यरत ।

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