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Hamare Aaas-Paas Ke Pakshi (4 Color)
प्रस्तुत पुस्तक पक्षियों का संसार, हमारे आस-पास के पक्षी एक ऐसी पुस्तक है जो पक्षियों के संसार की वह कहानी बताती है जो पर्यावरणविदों एवं पक्षीशास्त्र के विशेषज्ञों को सचेत करता है कि अगर समय रहते आपने अपने आस-पास के लोगों को, नीति-निर्धारकों को एवं राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को जागृत नहीं किया तथा संरक्षण एवं सतत् विकास की नीतियों को सख्ती से लागू नहीं किया, तो आपकी सारी सुख-सुविधाएं पर्यावरणीय शांति के अभाव में रसातल में चली जाएगी। पक्षी समुदाय पर्यावरण का अहम् हिस्सा है। इनकी प्रजातियों में लगातार हास हो रहा है। आज प्रजातियों की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। घरेलू गौरेया और यहां तक की कौआ और मैना भी अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। प्रायः सभी पक्षी मानव के साथ मित्रवत् संबंध रखते हैं। हम मानव विवेकपूर्ण होकर भी विवेकहीनता का बोध रखते हैं। यही विवेकहीनता पक्षियों के विकास और पर्यावरणीय असंतुलन का बड़ा कारण बनता जा रहा है। यह पुस्तक आंकड़ों, आलेखों तया चित्रों (फोटो) के द्वारा इसी उभरती संकट की तरफ मानव समाज को सचेत होने का संदेश देता है। लेखक द्वय श्री संजय कुमार एवं निशांत रंजन क्रमशः मेरे मित्र एवं शिष्य है। मैं दोनों को लंबी अवधि से जानता हूँ। पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण का जुनून इनके सिर चढ़कर बोलता है। लेखक द्वय की यह पुस्तक सही अर्थों में पक्षियों के ऊपर एक लघुज्ञान कोश है। यह पुस्तक हमारे जैसे शिक्षाविद् को प्रेरित करता है कि इस प्रकार के विषयों को स्कूल एवं कॉलेज में अनिवार्य रूप से पढ़ाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। पुस्तक की भाषा सरल है। पुस्तक तथ्यों पर आधारित है। मैं लेखय द्वय को इस रचना के लिए बधाई देता हूँ तथा आशा करता हूं कि शीघ्र ही कोई नई पुस्तक आएगी और पाठकों को निःसंदेह इसकी प्रतीक्षा रहेगी।
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