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75 Kavitayen : Vijay Deo Narayain Sahi

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2025
978-93-48650-37-5

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साही जी की कविता को भली-भांति समझने के प्रयास में मैंने उनकी रचना-प्रक्रिया, उनकी काव्यानुभूति के प्रस्थान बिंदु, उनके काव्य के विकास की दिशा, उनकी शैली की विशेषताएं, उनकी शब्दावली व बिम्ब-संसार तथा समाज एवं कविता के बारे में उनका दृष्टिकोण, इन सभी का अन्वेषण करने का प्रयास किया है, एवं इस हेतु अपने पास मौजूद सभी सामग्री को, जिसमें उनकी डायरियाँ व पत्र, मेरी माँ के नोट्स, पिता की कविताओं के बदलते हुए प्रारूप, उनके लेख व साक्षात्कार, मेरे निजी अनुभव इत्यादि शामिल हैं, मैंने उपयोग में लिया। इस अन्वेषण के फलस्वरूप जो कुछ मैंने पाया व समझा, उसके आधार पर मैंने इन कविताओं का चयन किया है। चयन करते समय मेरा यह प्रयास भी रहा है कि साही की कविताओं के विभिन्न आयाम पाठक के सामने प्रस्तुत कर सकूँ।

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