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Aash' Aar Bune Hai

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2025
978-93-48409-79-9

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हशम की ज़िन्दगी की ही तरह उसकी शायरी भी हकीकत की धूप में तप कर इन्सानी रिश्तों की बारिश में भीग कर सयानी हुई है। इसीलिये स्वर आश्चर्यजनक रूप से सादा और परिपक्व हैं। उसके स्वर में रंगीनी नहीं है तो कचाई भी नहीं है। उसके स्वर में सच्चाई का तेज और बल है, उसकी कथन भंगिमा में कोई पेंच नहीं, इसीलिये उसके वाक्यों में न कोई भारी भरकम डिक्शनरी से ढूँढ़ कर लाया हुआ शब्द मिलेगा, न लम्बे-लम्बे समास मिलेंगे। बिल्कुल बोलचाल की ज़बान में सीधी मार करती हुई कबीर की बानी। हिन्दुस्तान के एक आम किसान या कामगार की तरह जब भी वह संतों की-सी बानी बोलता है तो बहुत अच्छा लगता है क्योंकि उसमें जीवन का जाना बूझा हुआ कोई ऐसा मर्म होता है जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं।

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