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Charag-e-Rahguzar
आमिल साहब के यहाँ आने जाने से कस्बे के बाकी शायरों और कवियों में हम नौजवानों की चर्चा होने लगी । फिर सभी कवियों और शायरों में उठना बैठना हुआ । कुछ हम लोग अपना टूटा–फूटा कलाम सुनाते और कुछ उनसे सुनते । इस तरह काव्य गोष्ठियों के लिए माहौल बन गया । स्व– श्री ऋषि कुमार सिन्हा ऐडवोकेट, श्री फैजान अली खां फैजान, श्री निरंजन स्वरूप निशंक, श्री दिनेश समाधिया, श्री हाजी मोहम्मद अशरफ कुरैशी मानवी, स्व– श्री रामानंद नगाइच रम्मन, स्व– श्री सय्यद मेहबूब अली, श्री एजाज़ अहमद एजाज़ बीसलपुरी एवं श्री बनवारी लाल मूरख इत्यादि इन गोष्ठियों में शामिल हुए करते थे । विशेष रूप से बज़्मे–अदब (संचालक हाजी मो– अशरफ कुरैश मानवी) और फैज़ान अली खाँ फैज़ान के घर पर गोष्ठियां होने लगीं । फैज़ान साहब ने संगीत का एक अनोखा कार्यक्रम (जिसमें स्थानीय शायरों का कलाम गायकों द्वारा प्रस्तुत किया गया और जिन शायरों का कलाम पेश किया गया वे भी उपस्थित रहे ) किया और विभिन्न काव्य गोष्ठियों के अतिरिक्त आल इंडिया मुशायरे भी करवाये ।
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