- New product
Chokhat par stri
स्त्री के बनाए जाने की प्रक्रिया उसके जन्म से ही शुरू हो जाती हैµउसके मनोवैज्ञानिक मानस की तैयारी । बल्कि उसके आस–पास यह माहौल जन्म के पूर्व से बनने लगता है । भारत के कुछ अँचलों में यह मान्यता है कि लड़की के जन्म लेते ही धरती तीन ऊँगली नीचे चली जाती है और बेटे के पैदा होते तीन ऊँगली ऊपर । चीन में लड़कियों के पाँव छोटे बनाने के लिए उन्हें लोहे के जूते पहनाने की प्रथा है तो अफ्रीका के कुछ इलाकों में लड़िकयों का खतना किया जाता है । पाठ्य पुस्तकों पर काम करने वालों ने उनमें जेंडर आधारित भेद भाव का विषद वर्णन किया है कि कैसे एक लड़की गढ़ी जाती है-पिता को अखबार पढ़ते दिखाकर और माँ को रसोई में खाना बनाते दिखा कर या राम को पाठशाला जाते दिखाकर और सीता को गुड़िया से खेलते दिखाकर । फिर सवाल यह बनता है कि यदि स्त्रियाँ ऐसे गढ़ी जाती हैं, तो कोई तो समय होगा, जब स्त्रियों का इस गढ़न से अलग स्वरूप होगा ? निस्सन्देह! इतिहासकारों ने आदिम स्त्री को पुरुषों के साथ बिना काम के जेंडर आधारित बँटवारे के एक साथ काम करते और फैसले लेते हुए बतलाया है, और यह भी कि मातृवंशात्मक समाज का इतिहास रहा है, आदिम समाजों में ।
You might also like
No Reviews found.