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Do Natak : Oxygen, Shatrugandh
आक्सीजन : जब सांसें उखड़ने लगती हैं तो ‘आक्सीजन’ हमें जीवनदान देती है । उसी तरह जब रिश्ते आखिरी सांसें ले रहे होते हैं तो कुछ घटनाएं उन्हें नया जीवन दे देती हैं । आक्सीजन नाटक में पति–पत्नी के बनते–बिगड़ते रिश्तों की कहानी है, जहां उनके दिल तो एक–दूसरे को अब भी चाहते हैं, परंतु वह ‘चाहना’ बाह्य रूप से दिखना बंद हो चुका है । पुत्र–पुत्री का विवाह कर चुके आदित्य और अनिता प्राइवेट सेक्टर में बड़े अधिकारी हैं । आदित्य और अनिता के बीच अक्सर झगड़े होते रहते हैं, परंतु एक दिन झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि वह अपना सूटकेस उठाकर होटल चला जाता है । उसके बाद शुरू होता है एक के बाद एक मनोरंजक घटनाओं का सिलसिला । होटल में ही आदित्य को अनिता के एक पुराने प्रेमी का पता चलता है, बदले में वह भी अपनी पुरानी प्रेमिकाओं की टोह लेना शुरू करता है, वहीं पर उसे पता चलता है कि इस कमरे में कोई और रुकने वाला था और गलती से उसे दे दिया गया है और इसी बीच में आता है एक अनजाना फोन । पूरा नाटक हास्य में भीगा हुआ तेजी से बढ़ता जाता है, परंतु अंत में इस नाटक को हास्य नाटक मानने की भूल न करिएगा । शत्रुघ्न : ‘शत्रुघ्न’ नाटक में उन भारतीय बुजुर्गों की दशा का चित्रण किया है जिनकी औलाद विदेश में नौकरी कर रही है । गोपीनाथ और संध्या का इकलौता बेटा प्रतीक अपनी पत्नी के साथ अमेरिका में रहता है और उसने अपने माता–पिता से सारे संबंध तोड़ लिए हैं । ऐसे में गोपीनाथ को अपना अतीत याद आता है जब पढ़ाई पूरी कर गांव में रह रहे अपने माता–पिता के साथ उसने भी ऐसा ही किया था । गोपीनाथ को एक अनजाना भय सताने लगता है । उसे लगता है कि हैट पहने हुए एक बहुत ही बूढ़ा आदमी अपनी छड़ी से उसको मारना चाहता है । प्रयोग के रूप में वे दोनों नवयुवक सुयश को पेइंग गेस्ट रखते हैं । सुयश बहुत ही होनहार और गरीब किसान परिवार का बेटा था जो शहर इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए आया था । सुयश के कारण उनको अपने बच्चे की कमी दूर होती दिखाई देने लगती है । गोपीनाथ उससे एक व्यावसायिक संबंध ही रखना चाहता था, परंतु संध्याउसे प्रतीक ही मानने लगी थी । एक दिन दोनों उसका जन्मदिन मनाने के लिए तैयारियों में लगे होते हैं कि तभी सुयश आता है और उत्साह से बताता है कि भारी पैकेज में उसका कैंपस सलेक्शन हो गया है । वह उसी दिन अपना सामान लेकर चला जाता है । गोपीनाथ और संध्या के जीवन में फिर से अंधेरा छा जाता है और एक दिन –––– ।
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