- New product
प्रत्येक 100 रुपये की खरीदारी पर 2 अंक अर्जित करें | 1 अंक= Rs. 1
Gandhi : Dakshin Africa Me Bhartiya Deshbhakt
महात्मा गांधी के अवमूल्यन के सुनियोजित अभियान के बावजूद उनके जीवन, कर्म और विचार के बारे में हमारी जिज्ञासा कभी ख़त्म नहीं होती । भारत में अपनी निर्णायक युगपरिवर्तनकारी भूमिका निभाने के पहले उनके अनुभवों, प्रयोगों, सार्वजनिकता आदि का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण अफ्रीका में बीता था । यह जीवनी उनके उस चरण का गहराई और विस्तार दोनों में अन्वेषण करती है । इसका हिन्दी अनुवाद हिन्दी कवि–आलोचक और प्रख्यात गांधीविद् नन्दकिशोर आचार्य ने किया है । महात्मा के १५०वें वर्ष की शुरुआत में इसे प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है ।
You might also like
Reviews
कहना ठीक ही है कि लोग इतिहास में फंसे हुए हैं और इतिहास उनमें फंसा हुआ है। इस पुस्तक ने मुझे एहसास दिलाया कि यह कितना सच है और हम तथ्यात्मक वास्तविकता से कितने अनजान हैं। हमारी पाठ्यपुस्तकों में इनमें से किसी को भी शामिल नहीं किया गया था और हमारे पास तथ्यों को छानने का कोई ठोस कारण नहीं है। हमें अकबरों और औरंगज़ेबों को पढ़ने के लिए बनाया गया था, हालांकि, स्वतंत्रता के बाद क्या हुआ, इसकी कभी स्पष्ट तस्वीर नहीं मिली।