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Gandhi Ek Bhavishyavani
एक विलक्षण दार्शनिक मेधा बसन्त कुमार मल्लिक (१८७९–१९५८) को उनके कई समकालीन दार्शनिक हीगेल के समकक्ष मौलिक दार्शनिक समझते थे । उनके अनुसार इतिहास की द्वन्द्वात्मकता सभ्यता की विफलता का साक्ष्य है । ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन और अध्यापन करते हुए वह अनेक समकालीन बौद्धिकों–साहित्यकारों के आकर्षण के केन्द्र रहे । कवि राबर्ट ग्रेव्ज“ ने उनके प्रति अपनी प्रशंसा को एक कविता के रूप में अभिव्यक्त किया है । वह सभी विरोधों–प्रतिविरोधों और द्वन्द्वात्मकता के प्रारम्भिक समाधान के तौर पर पारस्परिक तटस्थताµम्युचुअल एब्सटेंशन–वो प्रस्तावित करते और उस के पार तक सामरस्य और विश्व–शान्ति का स्वप्न देखते थे । ‘गाँधी % एक भविष्यवाणी’ में वह बापू के जीवन और मृत्यु को इतिहास की दोहरी विफलता पर टिप्पणी मानते हुए उनमें भविष्य के समस्यापूर्ण समाज का सन्देश सुनाते हैं । इस मानी में यह पुस्तक गाँधीवाद की प्रचलित व्याख्याओं से अलग है । उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकें हैं; ‘द रिअल एण्ड द नेगेटिव’, ‘व्यक्ति और समूह’, ‘माइथोलाजी एण्ड पॉसिबिलिटी’ तथा ‘द टॉवरिंग वेव’ ।
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