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Gyanranjan : Chuni Hui Kahaniya
ज्ञानरंजन जन्म : 21 नवम्बर 1936, अकोला, विदर्भ महाराष्ट्र में। शिक्षा: प्रायः इलाहावाद में। उच्च शिक्षा 1951 से 1957 तक इलाहवाद विश्वविद्यालय में। 2013 में जवलपुर विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्डर ऑफ लिटरेचर की उपाधि प्रदत्त (मानद डी.लिट.)। जवलपुर विश्वविद्यालय से सम्वद्ध जी. एस. कॉलेज में हिन्दी के प्रोफेसर रहे और चींतीस वर्ष की सेवा के बाद 1996 में सेवा निवृत्त । 35 वर्ष, निरंतर आपात काल के आघातों के वावजूद, विख्यात साहित्यिक पत्रिका 'पहल' का संपादन व प्रकाशन। 2 वर्ष के अंतराल वाद पुनः प्रकाशित । सातवें दशक के प्रमुख कथाकार। कहानी संग्रह 'सपना नहीं' प्रकाशित। अनूठी गद्य रचनाओं की एक किताव 'कवाइखाना' वहुत लोकप्रिय हुई। कहानियों देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में उच्चतर पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती है। सम्मान : सोवियत लैण्ड नेहरू अवार्ड (30 वर्ष की उम्र में) हिन्दी संस्थान का साहित्य भूपण सम्मान म.प्र. साहित्य परिपद का सुभद्रा कुमारी चौहान और अनिल कुमार पुरस्कार मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग का शिखर सम्मान और मैथिलीशरण गुप्त सम्मान भारतीय भापा परिपद कोलकता का प्रतिभा सम्मान शमशेर सम्मान और 2012 में पाखी का शिखर सम्मान। भारतीय ज्ञानपीठ का अखिल भारतीय 'ज्ञानगरिमा मानद अलंकरण' (2016) शब्द सम्मान वअमर उजाला (2019) आपात काल के प्रतिरोध में मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग का एक पुरस्कार और मुक्तिबोध फेलोशिप का अस्वीकार ।
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