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Sanchayan : Asghar Wajahat (3 vol.)

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2018

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हिंदी उपन्यास लेखन में असग़र वजाहत का सम्मानित योगदान है । इस विधा में उनके नए ढंग के योगदान को पाठकों, आलोचकों और विशेषज्ञों ने सराहा और प्रशंसा की । असग़र वजाहत संचयन के पहले खंड में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘सात आसमान’ और औपन्यासिक–ऐतिहासिक आख्यान ‘बाक़र गंज के सैयद’ को सम्मिलित किया गया है । उपन्यास औपनिवेशिक भारतीय जीवन का वृहद् वृत्तांत है जिसमें औपनिवेशिक दासता के दबाव, संघर्ष और स्वप्न मार्मिक ढंग से आ गए हैं । सैयद इकरामुद्दीन के भारत में बसने और अंत में उनके वंशज के फिर विदेश लौट जाने की कथा समय के साथ आए बदलावों को भी लक्षित करती जाती है । उपन्यास के अनेक छोटे छोटे पात्र और न भूलने वाले चरित्र मिलकर इसे यादगार कृति बना देते हैं । वहीं इस खंड में आया औपन्यासिक–ऐतिहासिक आख्यान ‘बाक़र गंज के सैयद’ इतिहास और गल्प के सम्मिश्रण का अद्भुत योग है । वाचक अपने पुरखों की तलाश में इतिहास के समंदर में गोते लगाता है और जो मोती उसे मिलते हैं पाठकों को बांटता जाता है । इस आख्यान में उत्तर भारत का सांस्कृतिक परिवेश बहुत सुन्दर ढंग से आया है साथ ही इतिहास के अनेक प्रसिद्ध चरित्र जैसे बाबर, हुमायूँ, सिराजुद्दौला, मिर्जा अबू तालिब भी कथा को गति और गहराई देते हैं । इतिहास की एकांगी और विकृत समझ के उलट असग़र वजाहत अपने लेखन में औपनिवेशिक दासता के विरुद्ध भारतीय जनमानस के वास्तविक विचार को प्रस्तुत करते हैं । कहना न होगा कि ऐसी कृतियां अपने समय के लिए ही नहीं आगामी पीढ़ियों के लिए भी धरोहर का काम करती हैं । युवा आलोचक पल्लव ने अपने कुशल सम्पादन में इस संचयन को तैयार किया है और भूमिका में इन कृतियों के महत्त्व का भलीभांति प्रतिपादन किया है ।

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