• New product

Sindhu Se Hindu Aur India

(0.00) 0 Review(s) 
2019
978-93-89191-06-6

Select Book Type

Earn 12 reward points on purchase of this book.
In stock

सिंधु से हिन्दू और इंडिया’ संस्कृत–मूल के ऐसे शब्दों की यात्राओं का खोजपूर्ण विवरण है जो विभिन्न कालों में देश–देशान्तरों की यात्राएँ करते हुए, अपना रूपाकार बदलते हुए, यूरोपीय भाषाओं में पहुँचे हैं । इन यात्राओं में सिंधु से हिन्दू और फिर इंडिया बनने की यात्रा सर्व प्रमुख है । यह यात्रा सिंधु शब्द के प्राचीनतम प्रयोग–स्थल ऋग्वेद से आरंभ होती है । जल, जल–राशि, नदी तथा समुद्र आदि का बोधक यह शब्द अर्थ और ध्वनि–विकास की अनेक चरणोंं से गुजरता हुआ किस प्रकार नदी विशेष अर्थात् ‘सिंधु नद’, फिर उसके आस–पास के क्षेत्र अर्थात् सिन्धु प्रदेश, और फिर सिन्धु प्रदेश के निवासी का बोधक बन गया, इसका गंभीर और तर्कपूर्ण विवेचन यहाँ प्रस्तुत किया गया है । /वनि–विकास की दृष्टि से जहाँ इसके सिन्धु और सिंद रूप बने वहीं स ध्वनि का ह में रूपांतरण होने से सिन्धु (क्षेत्र विशेष, सिन्धु प्रदेशय सिन्धु प्रदेश से संबंधित) का हिन्दु/हिन्दू रूप बना । सिन्धु का यह अर्थ–विस्तार यहाँ रुका नहीं और इसका प्रयोग सिंधु लोगों’ अर्थात् ‘हिन्दू लोगों’ के धार्मिक विश्वासों के लिए भी होने लगा । हिन्दू–धर्म का मूल अर्थ था सिंधु या हिन्दू प्रदेश के लोगों के दिव्य शक्तियों संबंधी विश्वास या मान्यताएँ । इस प्रकार सिन्धु से विकसित हिन्दू में धर्म का अर्थ समाविष्ट हो गया । इन सब बिन्दुओं के अतिरिक्त, स ध्वनि का ह में रूपांतरण क्यों और कहाँ हुआ जिस के परिणाम स्वरूप हिन्दु, हिन्दू, हियन्तु, हिन्द, हिन्दी, हिन्दे आदि रूप विकसित हुए । इसके साथ–साथ सप्त सिन्धु/सप्त सैन्धव से विकसित ‘हप्त हॅ ँदु/हिँदु’ का सर्वप्रथम प्रयोग कहाँ मिलता है इन सब विषयों का शोधपरक विवेचन इस पुस्तक मेंं किया गया है ।

You might also like

Reviews

No Reviews found.