
Gulabrai
About Gulabrai
जन्म : 17 जनवरी, 1888, इटावा (उ.प्र.)
शिक्षा : दर्शनशास्त्र में एम.ए. और बाद में एल.एल.बी., आगरा विश्वविद्यालय से सम्मानार्थ डी. लिट्. की उपाधि; 8वें दर्जे तक फारसी पढ़ी, फिर संस्कृत ली। बी.ए. में संस्कृत पढ़ने के अतिरिक्त काव्यशास्त्र और दर्शनशास्त्र के सिलसिले में संस्कृत का घर भी अध्ययन किया।
गुलाबराय के साहित्यिक कृतित्व के अनेक रूप है-काव्यशास्त्रकार, आलोचक, निबंधकार, दार्शनिक । इनकी प्रतिभा का विशिष्ट गुण है समन्वय-प्राचीन और नवीन का समन्वय। भारतीय और पाश्चात्य सिद्धांतों का समंजन कर भारतीय काव्य की विवेचना करने के लिए एक प्रकार के समन्वित काव्यशास्त्र के विकास में योगदान किया है। व्यावहारिक आलोचना में इन्होंने प्रायः व्याख्यात्मक पद्धति का अवलम्बन किया है। निबन्धकार की दृष्टि में इनकी सफलता और भी अधिक है।
काव्यशास्त्र से सम्बन्धित पुस्तकें 'नवरस' (1921), 'सिद्धांत और अध्ययन' (1946), 'काव्य के रूप (1947), 'हिन्दी नाट्य विमर्श' आदि ।
आलोचनात्मक कृतियाँ 'हिन्दी साहित्य का सुबोध इतिहास', 'अध्ययन और आस्वाद', 'हिन्दी काव्य विमर्श' ।
निबंध-संकलन : 'ठलुआ क्लब', 'फिर निराशा क्यों', 'मेरी असफलताएं', 'मेरे निबंध' (1955), 'कुछ उथले, कुछ गहरे', 'मनोवैज्ञानिक निबंध', 'राष्ट्रीयता' 'जीवन-रश्मियाँ' ।
दार्शनिक ग्रंथ 'मन की बातें' (1954), 'तर्क शास्त्र' (तीन भाग, दो भागों में पाश्चात्य तर्कशास्त्र और तीसरे में भारतीय तर्कशास्त्र) 'कर्तव्यशास्त्र', 'पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास', 'बौद्ध धर्म'।
आधुनिक हिन्दी गद्य के उन्नायकों में गुलाब राय का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
निधन: 13 अप्रैल, 1963 ई.
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