• New product

Aadarshwaad Ke Aayam : Shahari Parivahan Se Shahar Ke Chintan Ka Safar

(0.00) 0 Review(s) 
2016
978-93-82821-87-8

Select Book Type

Earn 11 reward points on purchase of this book.
In stock

हमारे देश में संयुक्त परिवार का ढांचा तेजी से टूट रहा है और एकल परिवारों की संख्या दिनानुदिन बढ़ रही है । युवा स्त्री–पुरुष काम–काज की गरज से घर से बाहर रहते हैं । ऐसी स्थिति में हमारे बच्चे और बूढ़े सबसे ज्यादा असुरक्षित जीवन जी रहे हैं । इनका अपहरण और हत्या आम बातें हैं । इस समस्या के समाधान के तौर पर छात्रावास और वृद्धाश्रम की व्यवस्था को आदर्श की तरह पेश किया जा रहा है । क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते कि अपनी आसपास की जगह में ही बच्चों और बूढ़ों का मिलना संभव हो, जिससे दोनों की अच्छी देखभाल हो और इनमें अलगाव की भावना भी न पैदा हो । हमारे देश में इस तरह के कुछ प्रयोग जारी हैं । इससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं । परिवहन का संपूर्ण ढांचा और कार–संस्कृति बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा असुरक्षित ही बना रहे हंै । इन समस्याओं पर हमें गहराई से विचार करने की आवश्यकता है । इस पुस्तक में संग्रहीत रचनाएं विकास की प्रचलित अवधारणा पर सवाल खड़ा करती हैं, और शहर और विकास के मुद्दे पर नई बहस की मांग करती हैं । कोई बना–बनाया उत्तर हमारे पास भी नहीं है, लेकिन यह एहसास है कि जो नई राह बनेगी, उसमें हमारी भी भागीदारी है । -राजेन्द्र रवि

You might also like

Reviews

No Reviews found.