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Aadha Ped Aadhe Hum

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2019
978-93-82554-03-5

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विश्व के समक्ष आज अनेक चुनौतियां मुँह बाए खड़ी हैं । उनमें सबसे अधिक संकटपूर्ण चुनौती पर्यावरण असन्तुलन की है । प्राकृतिक असन्तुलन के कारण अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सूखा, बाढ़, ग्लेशियरों का विलोपन, ऋतुओं का असन्तुलन जैसी समस्याएं निरन्तर सामने आ रही हैं । शहरीकरण के बढ़ते दबाव और जनसंख्या विस्फोट ने मनुष्य की सम्वेदनाओं को कुंठित कर दिया है । मानवीय मूल्यों का संकट गहरा हो चला है । सदभावना, सदाशयता, सहानुभूति करुणा दया, परोपकार और प्रेम जैसे मूल्य श्रीहीन हो गए हैं । समाज में निराशा, ऊब और शारीरिक तथा मानसिक व्याधियां बढ़ रही हैं । ऐसे संकट के समय मनुष्य का प्रकृति की ओर उन्मुख होना उसके अस्तित्व के रक्षण की अनिवार्य शर्त है । प्रकृति की कमनीयता मनुष्य को व्यापक सन्दर्भों से जोड़ देती है । प्रकृति का साहचर्य मनुष्य के हृदय का उन्नयन कर उसे उच्च मनोभूमि पर स्थापित कर देता है । साहित्य प्रकृति के इसी उत्प्रेरक रूप को उद्घाटित करता है । प्रस्तुत कहानी संकलन भी प्रकृति की भव्यता के उद्घाटन का एक प्रयास है । विभिन्न भारतीय भाषाओं से संकलित ये कहानियां मनुष्य और प्रकृति के संबंधों का पुनराख्यान हैं । आज जो समस्याएं हमें घेरे खड़ी हैं, वो इसलिए कि हम प्रकृति से विमुख हो चले हैं । ये कहानियां प्रकृति की ओर लौट चलने का आह्वान करती हुई प्रतीत होती हैं । --डॉ महावीर वत्स

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