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Aaj Ka Mahabharat
श्याम सिंह घुना जहाँ समकालीन हिन्दी साहित्य के एक सशक्त एवं समर्थ हस्ताक्षर हैं वहीं एक जागरुक पत्रकार और गम्भीर समाजिक चिन्तक भी हैं । विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठनों में उनकी सक्रिय हिस्सेदारी और लेखन इस बात का प्रमाण है । पिछले तीन दशकों से लेखन में सक्रिय घुना का यह दूसरा कहानी–संग्रह है । इससे पहले प्रकाशित इनका कहानी संग्रह ‘टशन’ व्यापक चर्चा में रहा । इनकी कहानियाँ विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं और आकाशवाणी से भी प्राय: उनका प्रसारण होता रहता है । घुना मूलत: ग्रामीण परिवेश के चितेरे कथाकार हैं । ग्रामीण जीवन पर इनकी गहरी पकड़ है । ग्रामीण परिवेश में व्याप्त विकृतियों एवं विसंगतियों का पर्दाफाश करने के लिए अपनाई गई आक्रामक एवं व्यंग्यात्मक शैली इनके कथाशिल्प की विशेषता है । संकलित कहानियों के विषय साधारण है । रोज़मर्रा की छोटी–छोटी घटनाएं, प्राय: जिन्हें हम अनदेखा कर देते हैं उन्हें वह कहानी में बखूबी पिरो लेते हैं । यह इस संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता है और इसी कारण कहानियाँ प्रभावी बन पाई हैं । —डॉ– कुल राजीव पंत