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Aawaz Ka Station
वो पहला कागज़ मुझे आज तक नही मिला जिस पर मैंने सबसे पहले कुछ लिखा था ना वो उम्र मिली, जिस उम्र में लिखा था ना वो हाथ मिले, जिन हाथों से लिखा था अभी तक वो भाव, वो मनोदशा भी नही मिली जिनमे वह लिखा गया होगा शायद वह कागज़ था ही नही वह स्लेट या तख्ती हो सकती है जिस पर मैंने अपना पहला अक्षर लिखा होगा अपने लड़खड़ाते हाथांे से बनाई होगी कोई चित्रात्मक भाषा और बाद में हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था ने अपनी समझदारी के डस्टर से, उस निष्कपटता को हमेशा के लिए मिटा दिया होगा ।
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