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Anhad Ke Beech
रानी श्रीवास्तव आज हिंदी स्त्री कविता के शिखर पर विराजमान हैं । पिछले कुछ दशकों की अनवरत एवं एकांत सा/ना से उन्होंने जो मुकाम और प्रसिद्धी हासिल की है वह दुर्लभ है । उनके इस नवीतम संग्रह में स्त्रियों के संघर्ष और स्वप्न के गान हैं । साथ ही देशभक्ति, सामाजिक व्या/ियाँ, राजनतिक परिस्थितियाँ, साहित्यिक सरोकार, प्रतिरो/, मार्मिक प्रसंग सब कुछ हैं । कुछ भी बाहर नहीं । ये कविताएँ किसी भी पाठक को द्रवित कर सकती हैं । प्रगतिशील तत्वों से संपृक्त ये कविताएँ एक विरल संयोग की तरह हैं । कोई अनुगूँज या प्रतिध्वनि नहीं है । इनका मुहावरा, संगीत, बिम्ब विधान सब में एक स्वच्छन्दता और मौलिकता है । इनकी विशेषता यह भी है कि स्त्रीवाद एवं प्रगतिशील प्रतिब(ता का सम्यक् प्रतिबिम्बन एक साथ यहाँ द्रष्टव्य है । यह संग्रह अपने शिल्प के लिए भी सराहा जाएगा । यहाँ एक उन्मुक्त वातावरण है, शब्दों का मनोनुकूल व्यवहार एवं मसृण कोमलता । मुझे कहने में जरा भी संकोच नहीं कि रानी श्रीवास्तव जो मूलत: वैज्ञानिक हैं एक दिन कवि जगत में भी अपना विशेष स्थान बनायेंगी । आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि रानीजी के इस नवीनतम संग्रह का स्वागत हिंदी पाठक वर्ग हृदय से करेगा ।
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