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Ankahe Pal

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2022
978-93-82554-86-8

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डॉ. जाकिर हुसैन (1897-1969) निःसंदेह आधुनिक भारत के सबसे महान् शिक्षा शिल्पी हैं। आरंभिक काल में ही गांधीजी ने उन्हें पहचाना और जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा बुनियादी शिक्षा की राष्ट्रीय अवधारणा को फलीभूत करने की जवाबदेही उन्हें सौंपी। राष्ट्रीय आंदोलन की सक्रियताओं के बीच जाकिर हुसैन ने शैक्षिक जिम्मेदारियों को आदर्श स्थिति तक पहुँचाकर स्वयं को एक शिक्षक, एक शैक्षिक प्रशासक और राष्ट्रीय आकांक्षाओं के मुताबिक समग्र शिक्षा का प्रयोग करने वाले स्वप्न द्रष्टा के तौर पर सिद्ध किया। शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. जाकिर हुसैन के कामों को उनके आलेख, अभिभाषण आदि सामग्रियों के द्वारा समझने का प्रयास किया जाता है। मगर प्रस्तुत पुस्तक इन अर्थों में एक अलग तरह का ग्रंथ है जहाँ पहली बार उनके पत्रों को आधार बनाकर शोध सामग्री पेश की गई है। डॉ. जाकिर हुसैन के पत्रों के उद्धरण, उनकी शैक्षिक, सामाजिक और मानवीय चिंताओं को उद्घाटित करते हैं। इन पत्रों का काल वही है जो भारत के नवनिर्माण और राष्ट्रीय संघर्ष का काल है। अतः देश और दुनिया की जटिल समस्याएँ भी सामने नजर आ जाती हैं। इस पुस्तक से डॉ. जाकिर हुसैन के व्यक्तित्व और विचारों को समग्रता में समझा जा सकता है। पत्रों के साथ जाकिर साहब के कुछ अहम् उर्दू लेख एवं भाषणों को आपबीती, विद्वान, साहित्य, शिक्षा, राजनीति और कहानी के शीर्षक से प्रस्तुत किया गया है, जिसके अध्ययन से जाकिर साहब का पूर्ण व्यक्तित्व सामने आ जाता है। इस तरह यह पुस्तक जाकिर साहब पर एक जरूरी संदर्भ-ग्रंथ बन गई है जिसका अध्ययन शिक्षा और समाज के संबंधों को समझने वाले लोगों के लिए अनिवार्य है। -डॉ. सफदर इमाम कादरी उर्दू विभाग, कॉलेज ऑफ कामर्स, पटना

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