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Anuwad Mein Bhasha Aur Sanskriti
साहित्य और अनुवाद का बुनियादी संबंध है । एक भाषा के साहित्य की विश्व दृष्टि अनुवाद के माध्यम से अन्य भाषाओं में प्रसारित होता है । मूल रचना में निहित सामाजिक–सांस्कृतिक–धार्मिक जैसे सभी पहलू अनूदित रचना में परिलक्षित होते हैं । इस प्रकार एक देश के सामाजिक–सांस्कृतिक–राजनीतिक एवं आर्थिक विकास के लिए अनूदित रचनाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है । क्षेत्रीय भाषा मलयालम का हिंदी अनुवाद पढने से पाठक यहाँ की संस्कृति से ही नहीं, बल्कि मलयालम भाषा की विशेष भाषा–शैली से भी गुज़रते हैं । इसी प्रकार मलयालम भाषा–भाषी हिंदी की अनूदित रचनाओं के माध्यम से संपूर्ण देश के स्वर को अपनी रचना से तुलना करके, समन्वय, सामंजस्य और समता की भारतीय संस्कृति को मज़बूत बनाते हैं । लेकिन अनुवाद–कला में बहुत सारी संभावनाएँ हैं । साथ ही साथ समस्याएँ भी हैं । केरल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने इन सभी दृष्टिकोणों से ‘अनुवाद में भाषा और संस्कृति का संचरणµहिंदी और मलयालम की अनूदित रचनाओं के सन्दर्भ में’ विषय पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था । संगोष्ठी में प्रस्तुत महत्वपूर्ण आलेखों का पुस्तक में चयन किया गया है । इसके प्रतिभा धनी लेखकों को धन्यवाद । इस पुस्तक का प्रूफ़ रीडिंग कार्य करने में डॉ. संध्या मेनन और डॉ. श्रीनिता पी.आर दोनों ने मेहनत की है । उनके लिए धन्यवाद शब्द काफ़ी छोटा है और औपचारिक भी ।
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