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Aparyay vijay bahadur singh

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2016
978-93-85450-40-2

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विजय बहादुर सिंह हमारे समय के एक ऐसे सर्जक–आलोचक हैं जिनमें परम्परा की सार्थक अनुगूँजों के साथ–साथ समकालीन जीवन के अनुभवों से फूटे मूल्यों की खबरदारी भी है । एक लेखक के रूप में वे उन सारी बातों के पक्ष में खड़े हैं जिन्हें परम्परागत तथा आधुनिक समाज भी अपने लिए श्रेयकारी मानता है । आलोचक विजय बहादुर सिंह स्वयं एक अलग किस्म के कवि भी हैं इसलिए उन्हें यह आत्मविश्वास भी सहज है कि वे कविता के बदलते रूपो और अनुभवों की नई भंगिमाओं के महत्त्व को पहचान सकें

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