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Char Din Prem Ke
आज साढ़े तीन वर्ष पश्चात दीपा के केस में फैसला आना था। सब अपनी-अपनी तरह से अभियुक्त को क्या दण्ड मिलेगा कयास लगा रहे थे। आपस में खुसर पुसर हो रही थी कोई कह रहा था कि अभियुक्त को कम से कम पांच वर्ष का कठोर कारावास होगा, कोई कह रहा था सात वर्ष का सश्रम कारावास अर्थ दण्ड सहित । दस बजते-बजते कोर्ट रूम में काफी भीड़ जुट गयी थी। दीपा भी अपने वकील के साथ समुचित न्याय पाने के लिए न्यायालय पहुँच गयी थी। प्रातः साढ़े दस बजे न्यायधीश महोदय न्याय की कुर्सी पर आकर बैठ चुके थे। कुछ ही देर में जज द्वारा अंतिम फैसला सुनाये जाने पर सबका ध्यान केन्द्रित था। ठीक ग्यारह बजे जज साहेब ने फैसला सुनाया.... चूंकि अभियुक्त समीर ने ऐसा घृणित कृत्य किया है, अतः इस केस में उसके साथ नरमी नहीं की जा सकती । एक अल्पवयस्क लड़की को भ्रमित कर अपनी नापाक मोहब्बत के सब्ज बाग दिखा व बाद में उसके साथ शादी करने के सपने भी दिखाये जब कि अभियुक्त पहले से ही शादी-शुदा है-एक मासूम के साथ अभियुक्त समीर ने न केवल विश्वासघात किया है बल्कि उसका वर्तमान ही नहीं भविष्य भी नष्ट करके रख दिया है। कुल मिलाकर समीर को आइ.पी.सी. की भिन्न धाराओं के अन्तर्गत सात वर्ष का कठोर कारावास व रु. 50000/- के अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई। एक ओर यह फैसला सुनते ही समीर बालक की तरह बिलख-बिलख कर रो रहा था। दूसरी ओर दीपा के दोनों नेत्रों से आंसू छलक पड़े-ये आंसू इस बात की गवाही दे रहे थे कि वास्तव में उसके साथ समुचित न्याय हुआ था। - 'दीपा' कहानी से
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