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Dastangoi

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2019
978-93-87145-80-1

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मौजूदा सदी भावुकता भरी कल्पनाशीलता और वैचारिकता की अतिवादिता से बाहर आने का रास्ता तलाश रही है। वो पाश्चात्य के नक्शे कदम पर वैज्ञानिक तथ्यों और विचारों से ज्यादा प्रभावित व निकट है, लिहाजा साहित्य के प्रारूप और तरीके भी बदल रहे हैं। आज कथेतर गद्य अपनी वैविध्यता, विस्तार, वास्तविकता तथा नवीनता के कारण अन्य पारंपरिक विधाओं की पंक्ति में खड़ा है व आशातीत रूप से पसंद किया जा रहा है। हिन्दी की स्थापित व प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में व्यंग्य, संस्मरण, आत्मकथा, अनुवाद, साक्षात्कार, रेखाचित्र आदि को शामिल किया जाना तथा पुस्तक रूप में लिखा व पढ़ा जाना यही सिद्ध करता है कि कथेतर साहित्य ने पारम्परिक विधाओं के बरक्स अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। प्रस्तुत किताब की अवधारणा कक्षेतर साहित्य के इसी महत्व और पसंदगी को एक कदम और बढ़ाना है। इसी वैविध्यता, रोचकता, सार्थकता व मौलिकता के मद्देनज़र गद्य साहित्य की अन्य विधाओं को संकलित संगठित रूप में लिखने की कोशिश है। स्मरण, व्यंग्य, समकालीन चुनीतियां (लेख) जीवनी, साक्षात्कार, आत्म कथ्य, रेखाचित्र, यात्रा वृत्तांत, समीक्षा, डायरी, विश्व विख्यात लेखकों के अनुवाद आदि को सहज और पठनीयता के साथ समावेशित किया गया है। इस किताब को लिखने का उद्देश्य है साहित्य का खास ओ आम पाठक इन विधाओं के साथ खुद को महसूस कर पाए, कथेतर गए की सभी महत्वपूर्ण विधाओं को एक ही जिल्द के भीतर उनकी विशिष्टताओं के साथ संकलित करना विधाओं को उनकी सत्यता, विस्तार, मौसिकता और रोचकता के साथ प्रस्तुत करना

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