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Do Duni Panch
स्वार्थों की लंगड़ी भिन्न में जीवन का गणित उलट–पुलट गया है । प्रतिज्ञाओं के जाल और शपथों वाली सौदेबाजी को राजमार्ग के सांचे में फिट करके अपरिचित आकर्षण से अलगाव की अनंत चेष्टा के बावजूद पगडंडियों के सहारे ऊजड़ वन में दूर क्षितिज के अनहदी स्वर ने पुकारा है और जीवन के गणित को नकारा है । कभी एक–एक ग्यारह साँच है तो कभी जीवन दो दूनी पांच है ।
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