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Kala Ki duniya
देश–विदेश के कला–संग्रहालयों में जाने के और कलाकारों से मित्रता और अंतरंगता के किस्से तो इस पुस्तक की प्राय: सभी टिप्पणियों और लेखों में पिरोये हुए हैं । उन पर अलग से और क्या जोड़ूँ । इतना ही और कहना चाहता हूँ कि ‘कल्पना’ ‘दिनमान’ से जो सीख मिली थी कि सभी कलाओं में रुचि लो, तो उससे आनंद तो आएगा ही, किसी विषय पर लिखना भी सुगम होगा,—उसका अनुभव किया है—इस पुस्तक की सामग्री लिखते हुए ।
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Reviews
कला से सम्बंधित महत्वपूर्ण पुस्तक I प्रयाग जी ने जिस तरह कला के बारे में लिखा है काफी कुछ सहज कर देता है कला को समझने में।