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Kalakaar Ka Dekhna: Chitrakar Akhilesh Se Ek Samvad

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2017
978-93-87145-24-5

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आप जो रच रहे हैं, उसके लिए एकाग्रता जरूरी है । एकाग्रता नहीं तो आप रच ही नहीं सकते । रचनाकर्म ध्यान की ऐसी स्थिति है, ऐसा समय है, जिसमें आप अलौकिक महसूस करते हैं । आप ‘स्वभाव’ में स्थित होते हैं । और इसे आप ईश्वर या प्रकृति का नाम दे देते हैं क्योंकि आपकी एक बनी–बनायी दुनिया है जिसमें ईश्वर आपके पहले से मौजूद है । और वह एक धारणा भी है, जिसे झूठा साबित करने के लिए आपके पास कोई तर्क नहीं है । लेकिन आपकी दिलचस्पी इन सब में न होकर अपने काम और रचनात्मक अनुभव में होती है ।

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