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Kavindra Ravindra Hindi Sahityakaon Ke Nazariya Se

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2012
978-93-81272-92-3

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रवीन्द्रनाथ टैगोर के काव्य को पढ़ने का मतलब है वैदिक ऋचाओं से लेकर कबीर, दादू, नानक, मछुआरों, संताल और बाउल गीतों के दर्शन, इनके चिन्तन के सार को आत्मसात करनाय टैगोर के नाटकों, गीतिनाट्यांे को पढ़ने का मतलब है, गीता, जैन, बौद्ध मतों की बारीकी को समझनाय टैगोर के गद्य को पढ़ने का मतलब है अणु, परमाणु से लेकर पदार्थ विज्ञान, समाज विज्ञान, नृतत्त्व विज्ञान, भाषा विज्ञान और शिक्षा और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करनाय टैगोर के चित्रोें को देखने का मतलब है वैन गॉग, पिकासो से लेकर हुसैन के चित्रों को एक साथ देखनाय टैगोर के संगीत को सुनने का मतलब है भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय लोकगीतों से लेकर पाश्चात्य संगीत को सुनना और टैगोर के शान्तिनिकेतन को देखने का मतलब है भारत की संश्लिष्ट सभ्यता–संस्कृति का दर्शन करना । असल विराटता, उदात्तता, व्यापकता और गहराई की दृष्टि से टैगोर की तुलना, विश्व–पटल पर केवल एक से ही की जा सकती है । वह हैं जर्मन कवि, दार्शनिक, नाटककार, प्रबंधन –लेखक और महाकाव्य के रचनाकार ‘गोएटे’य परन्तु, दोनों में मौलिक अन्तर है । गोएटे अपने विश्व प्रसिद्ध ‘फाउस्ट’ में जीवन–तल को तलाशते हुए चीख उठते हैं–––‘प्रकाश’–––‘और प्रकाश’–––, विपरीत कवि गुरु टैगोर भाव–समाधि –अवस्था में गा उठते हैं–––’’ पागला हवा बादल दिने, पागल आमार मन नैचे ओठे’’–––– दृष्टि–सम्पन्न डॉ– बहादुर मिश्र ने प्रस्तुत पुस्तक तैयार कर हिन्दी भाषा–भाषियों का बड़ा उपकार किया है । साधुवाद स्नेह! -राधाकृष्ण सहाय

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