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Kavita : Ghat Pratighat
कविता सम्बन्धी पुस्तकों यानि कविता संग्रहों और कविता सम्बन्धी गंभीर आलोचना से हट कर यह पुस्तक कवियों के साथ ही कविता के आलोचकों और कविता प्रेमियों को तो पसंद आएगी ही, वे भी इसे पसंद करेंगे जिन्होंने अभी तक कविता सम्बन्धी किसी भी प्रकार की कोई पुस्तक नहीं पढ़ी है या जिनका कविता से कोई नाता नहीं है या जो कविता प्रेमी नहीं हैं । इसमें कविता के विविध रूपों के सम्बन्ध में ऐसी रोचक टिप्पणियाँ हैं जिनके विषय में पहले कभी सोचा भी नहीं गया होगा । कविता के प्रचार के लिए क्या बसों और ट्रेनों का प्रयोग किया जा सकता है ? क्या कविता पूर्णत% नग्न होकर सार्वजनिक रूप से पढ़ी जा सकती है ? क्या घर–घर जाकर कविता लिखी/सुनाई जा सकती है ? क्या कविता किसी भी रोग का उपचार हो सकती है ? क्या डाक्टरों के क्लीनिक का उपयोग कविता के प्रचार के लिए किया जा सकता है ? आदि बातों पर इस पुस्तक में संग्रहीत छोटी–बड़ी टिप्पणियों में ऐसे सहज, सरल और रोचक ढंग से बतलाया गया है कि कोई भी लेख पढ़ना शुरू करने पर उसे पूरा पढ़े बिना नहीं रहा जा सकेगा ।
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