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Mahabharatdarpan (8Vol.)
महाभारत दर्पण हिन्दी परम्परा में एक ऐसा गौरव ग्रंथ है जो लंबे अरसे से पुस्तक के रूप में अनुपलब्ध था । दरअसल, हममें से बहुतों को यह पता तक न था कि ‘महाभारत’, जो भारतीय सभ्यता का एक संस्थापक ग्रंथ माना जाता है. हिन्दी में इतने पहले अपने जटिल और विस्तृत वितान में, मानवीय अस्तित्व और नैतिकता के अपने अद्भुत आख्यान में, अपने कथा–बहुल भूगोल में, अपनी कालजयी सचाई में ‘भाषा’ में आ चुका था । विद्वान् डॉ– राजकुमार से जब इस अनुवाद का पता चला तो ‘रज़ा फाउंडेशन’ ने निश्चय किया कि उसका एक नया संस्करण प्रकाशित किया जाये । यह निरन्तर फैलती और फैलायी जा रही विस्मृति के विरुद्ध स्मृति का सत्याग्रह करने की व्यापक चेष्टा का अंग है । ‘रज़ा पुस्तक माला’ के अन्तर्गत प्रकाशित यह ग्रन्थ आठ खण्डों में है और इस माला में प्रकाशित सबसे बड़ा ग्रन्थ है । राजकुमार जी की विस्तृत भूमिका इस ग्रन्थ की रचना और प्रकाशन के इतिहास की नयी समझ देती है । हम उनका और उनके युवा सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए इस ग्रन्थ को पुनर्प्रकाशित करते हुए गौरव का अनुभव कर रहे हैं । -अशोक वाजपेयी
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