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Mahamantra Gayatri Ka Boodhik Upyog

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2019
978-93-89191-10-3

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बुद्धिनाशात्प्रणश्यति दुनियाके मालिक ने दुनिया में रहने सहने के लिए इन्सानों को दुनिया की सबसे कीमती तोहफा दिया है । वह है बुद्धि । यह एक अन्तहीन अनमोल ख़जाना है । जिसके उपयोग से लोग ऊँची से ऊँची पद प्रतिष्ठा मान, मर्यादा गरिमा महिमा आदि सब कुछ हासिल कर लेते हैं । बुद्धि के सदुपयोग से ही लोग सर्वोत्तम चरित्र का निर्माण करके सज्जन, सन्त, महात्मा, पीर, औलिया आदि बनकर सर्वप्रिय हो जाते हैं । बुद्धि के सदुपयोग से ही लोग आदमी बनते बनाते देवता तक बन जाते हैं और सदा के लिए अमर हो जाते हैं या यह कहा जाए कि इनके अनुयायी लोग उन्हें कभी मरने नहीं देते । रहती दुनिया तक उनका यश पताका दुनिया भर में लहराता रहता है, ऐसे सैकड़ों मिसालें हमारे देश में ही मौजूद हैं । दूसरी तरफ यदि इसी बुद्धि का दुरुपयोग करें, तो हर तरफ से सर्वनाश हो जाता है । फिर वह शुद्ध बुद्धि–बुद्धि नहीं रह जाती, फिर तो वह दुर्बुद्धि हो जाती है और बुद्धि धीरे–धीरे नष्ट हो जाती है और जिसकी बुद्धि नष्ट हो गयी, वह तो जीते जी मुर्दा समझा जाता है । क्योंकि यही श्री कृष्ण जी ने गीता में कहा है । ‘बुद्धि नाशात्प्रणश्यति’ अर्थात् जिसकी बुद्धि नष्ट हो गयी, उसका तो सर्वनाश ही हो जाता है । क्योंकि लोक परलोक हर जगह वह घृणा का पात्र बन जाता है, बस किसी स्वार्थ पूर्ति तक इर्द–गिर्द के कुछ गिने चुने लोग, या इसी कोटि के लोग एक दूसरे के क्षणिक और झूठे प्रशंसक भले हों जाएँ, किन्तु इनसे कभी किसी का नि:स्वार्थ भला होना संभव ही नहीं है, ऐसे लोगों के सामने कोई कुछ भले ही न कहे, किन्तु पीठ पीछे हर जगह इनकी बुराइयाँ ही होती रहती हें और उनका अपयश ही फैलता रहता है और जिसकी पीठ पीछे बुराइयाँ ही होती रहें ऐसे मानव जीवन को धिक्कार है । ऐसे बुद्धि विहीन लोगों से सुसंगठित और सौहार्दमय मानव समाज का सर्वनाश न हो जाए, इसीलिए चिरकाल से आज तक ऋषि, मुनि और हर समझदार लोग महामन्त्र गायत्री के द्वारा परमेश्वर से बस यही प्रार्थना करते रहते हैं किµहे संसार को पैदा करने वाले परमेश्वर! आप हमारी बुद्धि को ऐसे मंगलमय, सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें, कि जिस बुद्धि के सदुपयोग से सब को सुखमय जीवन जीने का समान अवसर मिलता रहे और सम्पूर्ण विश्व का कल्याण होता रहे । (इसी पुस्तक से) मुहम्मद हनीफ’ नई दिल्ली 10 मुहर्रम 1423 25 मार्च 200

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