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Mere Vistar Ka Koi Ant Nahi

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2022
978-93-92998-03-4

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युद्ध हम सोचते हैं कि युद्ध अलग से आता है जब कि युद्ध हमारे साथ ही पैदा हो जाता है हमें आपत्ति है युद्ध के होने से युद्ध को कोई आपत्ति नहीं है हमारे होने से रोज हम युद्ध को किनारे करने जाते हैं और वह है कि हमें किनारे ठेलकर हमारे बीच आ जाता है एक दिन घबड़ाते हैं दो दिन सोच में पड़ जाते हैं फिर रातें और अँधेरी करने में जुट जाते हैं पड़ने वाली चोट का उपचार ढूँढकर रखते हैं घायल होंगे के बाद की मरहम पट्टियाँ जुटा कर रखते हैं ज्यों–ज्यों मरते हैं हम त्यों–त्यों अमर होता जाता है युद्ध ।

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