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Meri Chitani Ka Vistar
मेरी चिताणी का विस्तार’ पुस्तक में लेखक होने की सुविधा नहीं ली गई है अपितु सुप्रसिद्ध लेखकों, समालोचकों, साहित्यकारों व सुधी पाठकों के स्वतंत्र विचारों को स्थायित्व प्रदान कर ‘मेरी चिताणी’ को नए संदर्भों में विस्तार दिया गया है । इस पुस्तक में कहीं पर आधुनिकता का इतिहास तो कहीं पर इतिहास की आधुनिकता द्रष्टव्य है । कहीं पर गांव के अर्थशास्त्रीय सूत्र और समीकरण मिलेंगे तो कहीं पर अपने सच को बड़े सच के साथ मिलाकर अंतर्दृष्टि पैदा की गई है । यत्र–तत्र किताब की गंभीरता के साथ बेबाकीपन और ईमानदारी की मीमांसा भी परिलक्षित होती है । यह पुस्तक चिंतकों और विचारकों के आलोक में ‘मेरी चिताणी’ की विरलता का विस्तार और परत–दर–परत अर्थ खोलती प्रासंगिकताओं का प्रकाशन तो है ही, अनकही अविरल साहित्य–धारा की नवोन्मेषी आलोचना का नवीन स्वरूप भी प्रस्तुत करती है । एक ओर यह पुस्तक ‘मेरी चिताणी’ को समझने में मदद करती है तो दूसरी ओर आलोचना को समझने में सहायता करती है । ‘मेरी चिताणी’ के गूढतम अर्थ का सरलीकरण करके पाठकों को लेखन और आलोचना की नूतन शैली से रूबरू करवाने में समर्थ होगी ‘मेरी चिताणी का विस्तार’ ।
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