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Nabbe Ka Dashak

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2017
978-81-90488-64-8

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तत्कालीन या समकालीन कह लीजिए आज की सबसे बड़ी समस्या संवेदना से दूर होना है । उपभोक्तावादी संस्कृति में मूल्य जड़ होते जा रहे हैं । शहरों की ओर पलायन तथा अत्याधुनिकता की चका–चैं/ा भरी दुनिया में हम अपनों से दूर एक परिवार के कारण आज हम सब एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे हैं । जिसका दष्परिणाम हिंसात्मक प्रवृत्ति का परिचायक है । जिसके कारण परिवार, समाज दोनों प्रभावित है । घर में दंगे, समाज में, देश में चारों तरफ मृत्यु का तांडव (मानवीयता) को खतरे में डाल रहा है । जिससे जापान में आज भी मनुष्य स्वस्थ पैदा नहीं होते । उत्तर कोरिया जिस दिशा में जा रहा है, वह पूरे विश्व के लिए खतरनाक साबित हो रहा है । उत्तर–कोरिया, दक्षिण–कोरिया, चीन का न्यूक्लियर सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन के परमाणु विकिरण के कारण सीमा के पास बसे कई शहरों ने परीक्षण के बाद ज“मीन के नीचे होने वाली हलचल को अनुभव किया है । परन्तु वह अनुभव व्यापक रूप से पूरे विश्व को झेलना पड़ेगा । विश्व को बचाने “वसुधैव कटुम्बकम” के श्लोक को आत्मसात् करते हुए मानवीय संवेदना और कविताओं की ओर उन्मुख होने की नितान्त आवश्यकता है । “किम जोंग उन को समर्पित कविताएं”

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