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Nadi Chup Hai
हिन्दी की स्त्री कविता की दूसरी पीढ़ी के कवियों में सौम्या सुमन का स्थान सर्वाेपरि है । अपनी बिल्कुल ताज़ा, मार्मिक एवं संश्लिष्ट कविताओं के लिए ख्यात, थोड़े ही समय में सहृदय पाठकों के बीच इन्होंने अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है । जीवन के सर्वथा नये अनुभवों, अनछुए पहलुओं का संधान करते हुए सुमन जी ने अपना एक निजी मुहावरा अर्जित किया है । इनकी कविता की चैहद्दी बहुत व्यापक है । यहाँ घर परिवार से लेकर वृद्धाश्रम तक का जीवन है जो किसी भी कवि के लिए स्पृहणीय है । सबसे मार्मिक क्षणों में भी उनका स्वर बेहद संयत रहता है और हर अनुभव अन्य अनेक अनुभवों को जोड़ता चलता है । कविताओं में प्रेम की भी अनेकानेक छवियाँ हैं जो पारम्परिक स्त्री कविता के रूढ़ स्वरों से सर्वथा पृथक है । सुमन जी ने सभी तरह की रूढ़ियों और पारम्परिक उपादानों को तोड़ते हुए निरन्तर नये–नये बिम्ब सृजित किए हैं और नयी लयों, स्वर लहरियों का अन्वेषण किया है । इनके बिम्ब और विवरण आसपास के सुपरिचित जीवन से आते हैं, लेकिन कवि के हाथ में पड़ कर वे एक नयी आभा से दीप्त हो उठते हैं । सौम्या सुमन की भाषा के बारे में यह कहना जरूरी है कि यह बेहद संतुलित, समावेशी और समशीतोष्ण है । यह लगभग बोलचाल की भाषा है जो तत्सम शब्दावली से परहेज नहीं करती । मुझे कहने में जरा भी संकोच नहीं कि सौम्या सुमन हिन्दी कविता में एक अद्वितीय स्वर है जो एक दिन शिखर स्वर बनेगा ।देखकर उल्लास होता है कि आज हिन्दी की स्त्री कविता वहाँ पहुँच गयी है जहाँ सारे विशेषण और उपमान छोटे पड़ जाते हैं । इतने बड़े पैमाने पर पहले कभी स्त्रियों ने काव्य सृजन नहीं किया । इसे संभव बनाने में निश्चय ही सुमन जी सरीखी अति प्रतिभाशाली कवियों का योगदान है । आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सुधी पाठक इनके इस प्रथम संग्रह का समुचित अभिनंदन करेंगे । आशा यह भी है कि कवयित्री नित नवीन काव्य सृजन से हिंदी काव्य धारा को समृद्ध करेंगी । ---अरुण कमल
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