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Prakriti Ka Pahredaar

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2022
978-93-92380-22-8

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प्रकृति हमारी जीवन रेखा है । वह हमारे चतुर्दिक एक सुरक्षा घेरा बनाती है और हमें जीवन से सराबोर करती है । हवा, पानी, ज़मीन, आग और आकाश के प्यार और दुलार के बल पर हम इस दुनिया में जीवित हैं । प्रकृति हमारी दूसरी माँ है । हम अपने जीवन के लिए समूची ऊर्जा प्रकृति से प्राप्त करते हैं । प्रकृति है तो हम हैं । हमारे पुरखों ने प्रकृति को अपना अभिन्न हिस्सा माना । उसके विराट वैभव को अनेक आयामों में सजाया । दुनिया की विभिन्न भाषाओं में उनकी अभिव्यक्तियाँ विरासत की तरह सुरक्षित हैं । यह संकलन ऐसी ही कविताओं का संग्रह है । इस संग्रह में बांग्ला, असमिया, मलयालम, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, उड़िया और हिन्दी की कविताएँ हैं । इन कविताओं के माध्यम से प्रकृति के अदेखे, अनछुए पहलुओं की ओर हमारा ध्यान जाता है । भरत प्रसाद जी ने चुनी हुई कविताओं के इस संकलन के माध्यम से हमारे संवेदन और विचारों को नए सिरे से जगाया है । प्रकृति हमारे सम्मुख दो बुनियादी रूपों में मौजूद है । एक वह जिसके होने में मनुष्य की कोई भूमिका नहीं है, यहाँ मनुष्य पूरी कोशिश कर खुद को प्रकृति का विनम्र अनुगामी बना रहता है । दूसरा, वह जहाँ मनुष्य का श्रम लगता है । बगीचा और खेत ऐसी ही जगहें हैं, जहाँ मनुष्य प्रकृति को अपने अनुकूल बना लेता है । ये जगहें मनुष्य और प्रकृति की दोस्ती और सहभाव के साक्ष्य पेश करती हैं ।

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