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Pratinidhi Kahaniyan
प्रस्तुत हैं परितोष चक्रवर्ती की प्रतिनिधि कहानियाँ... परितोष चक्रवर्ती, जो छत्तीसगढ़ में जन्मा-पला-बढ़ा और इसीलिए जिसके व्यक्तित्व में घुली-मिली है, वहाँ की जनसुलभ सरलता व निश्छलता और इनसानी रिश्तों को जीने की सहज वृत्ति। स्वभाव से वह कवि है...उसके व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं से निर्मित हुआ है, उसकी कहानियों का संसार...लीक से हटकर, एक अलग तरह के आस्वाद से परिचित कराती उसकी हर कहानी उसके किसी-न- किसी जीवनानुभव का बयान है...उसका हर पात्रा कभी-न-कभी और कहीं-न-कहीं उसके जीवन से जुड़ा रहा है...इसीलिए उसकी कहानियों में ज़िंदगी धड़कती है। पढ़ते हुए लगता ही नहीं कि हम कोई कहानी पढ़ रहे हैं, लगता है जैसे हमारी ज़िंदगी का कोई पन्ना हमारे सामने खुल गया है। किसी भी कहानी का यह बहुत बड़ा गुण होता है और इस अर्थ में परितोष चक्रवर्ती एक बड़ा कहानीकार है। वह आत्ममुग्ध और यशकामी कभी नहीं रहा। यद्यपि हिंदी ने उसके हिस्से का श्रेय उसे नहीं दिया, फिर भी उसकी उत्कट सृजनेच्छा के वशीभूत, वह लिखता जा रहा है...अखंड और अनवरत... -मोहन गुप्त
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