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Prem Ki Vedi ( Ek Prasangik Adhhyayan )
प्रेमचंद समन्वय के पक्षपाती थे। आपने साहित्य के अधिकांश विधाओं पर लेखनी चलाई है। पर आपको महारत हासिल हुई उपन्यास और कहानी लेखन में, ऐसा कहना प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकार के साथ अन्याय होगा। 15 उपन्यास और 300 से अधिक कहानी लिखने वाले 'कलम के सिपाही' के बारे में यह अवश्य कहा जा सकता है कि आपकी रुचि कथा लेखन में विशेष थी। कहा जाता है प्रेमचंद के नाटक, संवादात्मक उपन्यास ही बन गए थे। परंतु ऐसा तो नहीं कि उनका मंचन न हो सके। और ऐसा भी नहीं कि प्रेमचंद के नाटक में कहीं ऊब हो। नाटक के सारे तत्त्व, सारे गुण आपके नाटकों में विद्यमान हैं। प्रस्तुत आलोच्य विषय बड़ी तन्देही से और फुर्सत में की गयी प्रेमचंद के नाटक 'प्रेम की वेदी' पर व्यावहारिक समालोचना है। आलोचक डॉ. नूर जमाल के पास हिंदी साहित्य के अध्ययन-अध्यापन का तीन दशक से भी अधिक का अनुभव है। आपके पास एम.फिल., पी-एच.डी. के शोध-निर्देशन की पैनी दृष्टि है। आपकी रुचि काव्य-शास्त्र, भाषा विज्ञान के साथ-साथ आलोचना में भी विशेष रही है। आप अच्छे वक्ता, अच्छे काव्य वाचक भी हैं। प्रस्तुत नाटक 'प्रेम की वेदी' की आलोचना के पहले आपने प्रेमचंद के नाटक 'कर्बला' और 'संग्राम' की व्यावहारिक आलोचना की थी। अतः 'प्रेम की वेदी' पर यह आपका तीसरा व्यावहारिक आलोचना कार्य है। यह कार्य जितना ही समय साध्य व लगन साध्य है उतना ही उपादेय भी है।
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