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Premchand Ki Kisani Kahaniyan
प्रेमचंद ने किसान जीवन पर कई प्रभावपूर्ण कहानियां लिखी हैं जिनकी चर्चा अपेक्षाकृत कम हुई है । किसान की जो तस्वीर प्रेमचंद की कहानियों में मिलती है, वह बदली नहीं है । आज भी प्रेमचंद की किसानी कहानियां प्रासंगिक हैं । किसानी का काम करके कोई भी छोटा और भूमिहीन किसान खुश नहीं है । इसका सीधा कारण खेती से उनका ठीक से गुजारा न होना है । यदि ऐसा होता तो आए दिन किसान खेती छोड़कर कोई दूसरा काम नहीं तलाशते । हमारे सामने कितने किसान खेती में घाटा खाकर खुद को खत्म कर रहे हैं । यह समय प्रेमचंद के समय से और भी खराब है । पहले किसान के एक–आध उदाहरण ही हमें ऐसे मिलते हैं जब वह हारकर आत्महत्या को गले लगाता है । अब जबकि कई लाख किसान हमारी आंखों के सामने मौत को गले लगा चुके हैं और हमारे हृदय अभी तक पसीजे नहीं हैं । किसान की कई श्रेणियां होती हैं । भूस्वामी, बड़े किसान, मंझले किसान, छोटे किसान और भूमिहीन किसान । इसके अतिरिक्त स्त्री किसान भी है जो सब वर्गों में होते हुए भी किसान में शामिल नहीं है । भूमि किसानों के वर्ग का मूल आधार है । भूमिहीन किसान अक्सर बड़े और भूमि वाले किसानों के सामने हाथ जोड़ते हैं । इसलिए कि उनका बिना किसानों के गुजारा नहीं होता । खेतों से ही उन्हें अपने लिए काम, पशुओं के लिए घास या जरूरत की दूसरी चीजें मिलती हैं । यदि वे बड़े किसानों से बनाकर नहीं रखते तो किसान उन्हें कहीं भी पकड़ सकते हैं । इसलिए वे ऐसी स्थितियों से बचकर ही चलते हैं । जमींदार किसानों से कमाते तो खूब थे, लेकिन वे उनकी चिंता कभी नहीं करते थे । किसान दिन–रात मेहनत करने के बावजूद न अच्छा पहन सकते थे, न खा सकते थे । वे जमींदारों के लिए दिन–रात कमाते थे, फिर भी सुखी नहीं थे । इसका मूल कारण जमींदारों को हमेशा किसानों से दूर किया जाना था । कारिंदे किसानों की वास्तविक तस्वीर जमींदारों को नहीं दिखाते थे । ऐसा करने से कारिंदों को अपना नुकसान था । अब वे जमींदारों का नाम लेकर किसानों पर जो मर्जी अत्याचार कर सकते थे । जमींदारों की किसानों से निकटता उन्हें घाटा दे सकती थी । कारिंदे जितना कमाते थे, जमींदारों को उसका थोड़ा सा ही अंश देते थे । जमींदार भी किसानों से डरते थे । उन्हें ऐसा दिखा दिया गया था कि किसान कामचोर होते हैं और वे हमेशा जमींदारों के खिलाफ रहते हैं । किसानों को लूटने के कई तरीके जमींदार और उसके कारिंदों के पास होते हैं । उन्हें उन पर झूठे मुकदमे करने का डर दिखाया जाता है और सबके सामने पीटा जाता है । किसानों की कोई सुनने वाला नहीं होता, इसलिए वे हारकर जुल्म स्वीकार कर लेते हैं । किसान छोटी–छोटी चीजों के लिए तरसते हैं । वे अपने छोटे–छोटे सपनों के साथ संघर्ष करते हैं और ताउम्र करते ही रहते हैं । गाय एक सामान्य पशु है और वह भी छोटे किसानों के लिए एक दुर्लभ वस्तु बन जाती है । किसान को एक साथ कई स्तरों पर जूझना पड़ता है । अक्सर वह संकट में फंसा दिखाई देता है और इसका प्रमुख कारण उसका किसान होना ही है । खेती में कुछ भी तय नहीं है । जब तक अन्न के दाने किसान के घर में न आ जायें, कुछ भी निश्चित नहीं है । बाढ़, अकाल जैसे उसकी परीक्षा लेने जब–तब आते ही रहते हैं । महाजनी सभ्यता को प्रेमचंद ने आड़े हाथों लिया है । किसानों की दुर्गति के पीछे भी महाजनी सभ्यता ही जिम्मेदार है । इस सभ्यता में सब चीजों के केंद्र में पैसा ही है । इसी सभ्यता के कारण सब रिश्तों में एक औपचारिकता घर कर गई है । महाजनी सभ्यता में कोई भी घुस सकता है । यह सबको शोषण की राह पर चलना सिखाती है । प्रेमचंद ने छोटी–छोटी घटनाओं से किसानों की पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है । - पुस्तक की भूमिका से
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