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Rashmi Adhanyano Se Pare Itihas Aur Aalochana

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2017
978-93-85450-91-4

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सामान्य परिस्थितियों में यात्राएँ लीक पर चलते हुए पूरी हो सकती हैं, या होती रही हैं । लेकिन चुनौतियाँ जब होती हैं और बड़ी होती हैं तो वे ही लीकें हमें कहीं नहीं पहुँचातीं । फिर यथासम्भावित चलना और पहुँचना होता है । वही यहाँ है । जितना अधिक इस बात पर बल दिया गया और दोहराया गया कि मार्क्सवाद एक विज्ञान है, प्रगति का विज्ञान, उतना ही वह रीतिवाद बनता गयाय रूढ़ि बन गया । विकास इतना हो गया कि वह प्रतिक्रिया की सेवा में तत्पर हो उठा और जड़ बना तो आज भी स्टॉलिन दौर के राष्ट्रवाद को विश्व समाजवाद के रूप में स्वीकार कर रहा है । जब हम प्रचलित से भिन्न मार्ग अपनाते हैं और इतिहास की गति को नहीं देख पाते तो बहुत तरह की कीमतें देनी पड़ती हैं । शिकार बनना पड़ता है । युग सत्य, कल्पित सत्य से व्यापक और कठिन होता है । सदैव! आकांक्षा और स्वप्न काफी नहीं होते कर्म भी चाहिए । ज्ञान मात्र साधना ही नहीं है, साधन भी है । स्थापित समझों और नासमझों के विपरीत है पिछले दो दशकों में प्रस्तुत यह सम्पूर्ण सामग्री । मार्क्सवाद में आस्था और विज्ञान में निष्ठा पर केन्द्रित है । किसी भी लाभ–लोभ के विपरीत परिवर्तन और प्रगति के पक्ष में । - प्रदीप सक्सेना

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