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Sab Drashy
उज्ज्वल तिवारी की कविताओं को सोशल मीडिया पर खूब पढ़ा जाता है, सराहा जाता है । संग्रह की कविताओं को पढ़ते हुए ध्यान इस बात पर गया कि प्रेम उनकी कविताओं में स्थायी टेक की तरह है। अपने हर रंग में है, हर रूप में है, दृश्य में है, ओझल में है । प्रेम स्पर्श की तरह है, तो वह उपेक्षा से ग्रसित भी है, लेकिन सबसे अधिक उनकी कविताओं में चाँद है--कभी ग्रहण तो कभी ऐसा जैसे उसकी ‘हथेली पर प्रेम का छाला’ हो । उज्ज्वल तिवारी की कविताएँ हिन्दी की सबसे सशक्त कविता धारा का प्रतिनिधत्व करती दिखायी देती हैं । हिन्दी में प्रेम कविताओं की जो सुदीर्घ परम्परा रही है उसका प्रभाव उज्ज्वल तिवारी की कविताओं में दिखायी देता है । हिन्दी कविताओं में जिस ऐन्द्रिकता का अभाव रहा है उस भाव की कविताएँ उज्ज्वल की कविताओं में है । रागात्मकता की कविताएँ जो अपने शिल्प और कथ्य की नवीनता के कारण अपनी तरफ’ ध्यान खींचती हैं । ‘सब दृश्य’ की सुघड़ कविताओं को पढ़ते हुए सहसा यकीन ही नहीं होता कि यह कवयित्री का पहला काव्य–संकलन है । भावना और वैचारिकता का कुशल सन्तुलन इस संग्रह की कविताओं में निरन्तर दिखायी देता है, जो प्रभावित करता है । --प्रभात रंजन
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