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Sahadat Hasan Manto : Chuni Huyi Kahaniya

(4.50) 2 Review(s) 
2019

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भारत सीधे सीधे विश्वयुद्ध में शामिल नहीं हुआ था इसके बावजूद प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति होते–होते यहाँ की आम जनता में औपनिवेशिक शासन के प्रति गहरा असंतोष व्याप्त हो गया था । युद्ध के आर्थिक बोझ, कीमतों में वृद्धि, अनाज की कमी ने आम भारतीय को परेशान कर दिया था । युद्ध के व्यापक आर्थिक परिणाम हुए, साथ ही युद्ध में लाखों भारतीय सैनिक मारे गए । जर्मन, आस्ट्रिया और रूस में युद्ध के बाद क्रांतिकारी परिवर्तन एवं जनक्रांतियों ने भारतीय मानस में अपनी पहचान बनायी, जिसमें मुद्रण एवं संचार साधनों, विशेषकर अख़बारों ने बड़ी भूमिका निभाई, अनुमान है कि लगभग दस लाख भारतीय सैनिकों ने यूरोपीय, भूमध्यसागरीय और मध्यपूर्व के युद्ध क्षेत्रों में अपनी सेवाएँ दी थीं, जिनमें से कुल 62,000 सैनिक मारे गए और लगभग 67,000 सैनिक घायल हो गए । प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिक हताहत हुए थे । इसी समय जबकि विश्वयुद्ध के प्रभाव से संभवत% किसी भी संवदेनशील रचनाकार की संवेदना अछूती न रह सकी, देश प्रेम के भाव का जोर पकड़ना और स्वाधीनता आंदोलन के बहुआयामी पक्ष को प्रेमचंद की रचनाओं में देखा जा सकता है स 1917 में ‘वियोग और मिलाप’ शीर्षक कहानी में पहली बार भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन का प्रत्यक्ष यथार्थ चित्रण मिलता है ।

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Reviews
manto mere favorite writer hai aur unki sabse acchi kahani mujhe boo lagti hai uske bad kali salvaar
prashant, indore
good book i like manto writer
raghav, u.p