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Shamsher ki duniya
‘कवियों के कवि’ शमशेर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित इस किताब में पर्याप्त सामग्री है । इसमें मूर्धन्य साहित्यकार–आलोचकों के साथ ही नए प्रबुद्ध रचनाकार–समीक्षकों के आलेख शामिल किए गए हैं । पुस्तक के तीन खंड हैं स्मरण में है जीवन, अध्ययन–मूल्यांकन एवं रचना–प्रसंग । पहले खंड में शमशेर के छोटे भाई तेजबहादुर चैधरी, हरिशंकर परसाई, लक्ष्मीधर मालवीय और श्याम विमल के संस्मरण हैं तथा मलयज की डायरी के कुछ अंश भी । इनसे शमशेर के जीवन एवं व्यक्तित्व के कई अनछुए एवं मार्मिक प्रसंग उभरते हैं । लक्ष्मीधर मालवीय का संस्मरण सबसे अलग एवं अनूठा है । मर्मस्पर्शी भी । शमशेर के कवि–कर्म पर मुक्तिबोध से लेकर नामवर सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी, नित्यानंद तिवारी, अशोक वाजपेयी जैसे मूर्धन्य आलोचकों ने गंभीर विमर्श किया हैय इस मूल्यवान् सामग्री के बिना शमशेर के अध्यन –मूल्यांकन को आगे बढ़ाना संभव ही नहीं है । एक समर्थ कवि होनेे के साथ–साथ शमशेर एक अच्छे गद्यकार–आलोचक भी थे । उनके इस पक्ष पर डॉ– रामविलास शर्मा ने एक बहुत अच्छा निबंध लिखा था ‘अच्छे गद्य की पहचान’ । यहाँ उसे भी पढ़ा जा सकता है । अधिकांश आलेख नए हैं और प्रबुद्ध कवि–समीक्षकों से लिखवाए गए हैं । इनमें पवन माथुर, गोपेश्वर सिंह, हरिमोहन शर्मा, इब्बार रब्बी, रामनिहाल गुँजन, गोबिंद प्रसाद, बिक्रम सिंह, बली सिंह, ज्ञान प्रकाश विवेक और जानकीप्रसाद शर्मा जैसे नाम शामिल हैं । यहाँ शमशेर जी के कवि–कर्म पर गंभीर विमर्श उभरता है । नए संदर्भों में उनके काव्य–शिल्प एवं काव्यार्थ को समझने का प्रयास किया गया है । इस किताब में शमशेर के ग“ज’लकार एवं कहानीकार पक्ष पर भी विमर्श किया गया है ।
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